स्वर्गीय आचार्य धर्मेंद्र राव जी के पोते सुषांत राव जी के कुशीनगगर स्थित व्यावसायिक प्रतिष्ठान में आज दिनांक 16-07 -23 को 3 घण्टे का कीर्तन सम्पन्न हुआ।इस अवसर पर कुशीनगगर के साथ देवरिया, गोरखपुर, बस्ती भुक्ति के मार्गी भी शामिल हुए।श्रीश्री आनंदमूर्ति जी ने भी व्यक्तिगत साधना के अलावा सामूहिक साधना के लिए ‘बाबा नाम केवलम’ का नाम संकीर्तन का मंत्र दिया है। बाबा का अर्थ है सबसे प्रिय और पूरे मंत्र का अर्थ है अपने सबसे प्रिय इष्ट का नाम। इस कीर्तन से व्यक्तिगत बाधाओं और सामूहिक विपत्तियों से छुटकारा मिल सकता है/
इस अवसर पर आचार्य देवमित्रानंद ने कहा कि आनंदमार्ग एक आदर्श हैं, जो प्रत्येक मनुष्य के के लिए अनुकरणयीय है। इसका उद्देश्य व्यक्तिगत जीवन में योग साधना, कीर्तन और भक्ति के द्वारा परमब्रह्मा की अनुभूति करना है।