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अमझरिया से सम्बंधित घटना का 19 जून से लेकर 30 जून तक का घटनाक्रम और राँची AMPS की भूमिका का मनोज जी, सतबरवा द्वारा विस्तृत विवरण:*

बचपन से अपनी नज़र के सामने AMPS उच्च पद पर बैठे लोग के द्वारा आदिवासियों तथा आदिवासी क्षेत्र की उपेक्षा करते हुए देखते आ रहा हूं।उसी का परिणाम है कि विश्व के प्राणकेंद्र तथा बाबा नाम केवलम अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र का उद्गम स्थल, अतिमहत्वपूर्ण ऐतिहासिक भूमि,जो आनन्दमार्गियों ही नहीं विश्व के चराचर के सांसों का प्राण है, भूमाफिया के चंगुल में लगभग चला ही गया था। वनविभाग का सहारा लेकर सबसे पहले आनन्दमार्ग का नामोनिशान मिटाया गया।खबर आनन्दमार्ग प्रचारक संघ के रांची सेंटर को दिया गया।19/06/023 के सुबह की घटना है।देर शाम तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी।


शाम पांच बजे मैं अपने गुरुपरमपूज्य बाबा श्री श्री आनन्दमूर्ति जी से आदेश लेकर कमान संभाला।9 बजे रात्रि तक पूरी दुनिया में वायरल हो गया।रात्रि 9:45बजे औफिस सेक्रेटरी अचार्य अमलेशानन्द अवधूत का ह्वाट्सएप कौल आता है।वे मुझे धमकाते हैं कि आप बिना संस्था आदेश के ऐसा नहीं कर सकते। मैंने जवाब दिया मेरा घर में आग लगी है, मैं शोर मचा रहा हूं, कोई तो आग बुझाने में मदद करें।हमने कहा कि हम बाबा के आदेश का पालन कर रहे हैं।आप किसका आदेश से मुझे रोक रहे हैं,आप समझें। जबर्दस्त जनसमर्थन के साथ 21/06/023 को DFO लातेहार से मिलने की योजना बनती है। स्थिति को भांफते हुए अचार्य अमलेशानन्द अवधूत तथा अचार्य अवनिंद्रानन्द अवधूत भी कुछेक रांची के मार्गियों के साथ आते हैं। DFO से मिलते हैं, जिसमें मुझे अंदर नहीं जाने दिया जाता है।बाहर आकर अचार्य अमलेशानन्द अवधूत रोड पर साफ-साफ कहते हैं कि यह आनन्दमार्ग की प्रोपर्टी नहीं है और यही बात उन्होंने 19/06/023 को कहा था।
हमने सबको कहा कि आमझरिया में चलकर बैठक किया जाए। मार्गियों ने स्वीकार किया। आमझरिया में बैठक होती है, जिसमें चार प्रस्ताव पारित किए गये:-
(1) *तात्काल WT का पोस्टिंग किया जाए (02) अविलंब घटनास्थल पर कीर्तन तथा सेमिनार की घोषणा की जाए।(03)लोकल कमिटी का गठन किया जाए(04)लीगल एक्सपर्ट से सलाह लेकर कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाए*।
दुर्भाग्यवश इनमें से किसी का भी अनुपालन नहीं हुआ। हमें पल-पल का रिपोर्ट मिल रहा था।हम रांची एमिनेस्टेरेशन(AMPS)को जानकारी दे रहे थे। बावजूद भी आश्वासन के सिवाय और कुछ नहीं मिला। *हां 30/01 और 02जुलाई 2nd diocese सेमिनार आमझरिया में करने की घोषणा जरुर कर दी गयी*
इसी बीच 26 जून को वनविभाग द्वारा ताला तोड़कर कब्जा करना है,इसका पता हमें चला।हमने खबर फैलाया। रांची प्रशासन (AMPS)को भी खबर दिया गया। *ताला टूटते वक्त केवल पलामू और लातेहार के मार्गी ही पहुंच पाए*।
DFO पूरे दल-बल के साथ थे।हमसब मुट्ठी भर थे।कड़ा प्रतिरोध हुआ। अंततः शिल नहीं करने दिया गया।28/06/023 को किसी तरह से गया DS अचार्य ब्रजगोपालानन्द अवधूत को आमझरिया रखा गया।
इस बीच वनविभाग खाली करने का दबाव बनाता रहा।30/06/023 को 02 बजे अपराह्न में पलामू और लातेहार के मार्गियों के द्वारा 24घंटे का कीर्तन प्रारंभ किया गया और खूब मोटिवेट किया गया। दुनिया भर से जनसमर्थन मिलता गया। लेकिन पैसे कहां से आएगा और तब लोगों ने मेरा खाता मांगा,और दनादन पैसे आने लगा। कीर्तन 24से48 और 72घंटे हो गये।30/06/023 को अचार्य प्रज्ञनानंद अवधूत का आगमन होता है।01/07/023 को मार्गियों के कमिटी का गठन होता है।उसी दिन देर रात CS अचार्य जगतात्मानन्द अवधूत का आगमन होता है।

*कलकत्ता एडमिनिस्ट्रेशन के दो DS रांची अचार्य सुधामयानन्द अवधूत और टाटा DS मार्गियों के साथ 30जून से ही आमझरिया में हमें मदद कर रहे थे।
01/7/023 को अचार्य सत्यजीतानन्द अवधूत भी पहुंचते हैं।02/07/023 को सुबह-सुबह अचार्य रमेंद्रानन्द अवधूत का आगमन होता है।कुछ WT Didi भी पहुंचती हैं।10 बजे पूर्वाह्न में सभी WT तथा मार्गियों के बीच बैठक होती है। मैं संचालन कर रहा था ।सभी पक्षों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया।यह बैठक अचार्य रमेंद्रानन्द अवधूत के अध्यक्षता में हुई,जिसका विडियो रिकॉर्डिंग हमारे पास है।
सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि(1)*कीर्तन दिवस तक कीर्तन जारी रहे ताकि इस जगह पर लोगों का आना-जाना बना रहे।(02) सेवामुलक कार्य होता रहे(03) मार्गियों का लोकल अस्थाई समिति,के द्वारा संचालित होगा समिति का नाम हुआ कीर्तन धाम डेवलपमेंट कमिटी आमझरिया यह नाम अस्थाई है एक विशेष रणनीति के तहत,जैसा कि आनन्दनगर को दखल करने के लिए अचार्य ब्रह्मदेव जी रणनीति बनाए थे, भूत-प्रेत औघड़ इत्यादि जिसका चसमदीद गवाह देवनाथ जी अभी भी जीवित हैं (4)जो WT अभी हैं,वे बने रहें (05) कानूनी प्रक्रिया दुरुस्त किया जाए।(6)इस जगह पर आने-जाने तथा विकास में सहयोग करने से किसी को मना नहीं किया जाएगा।
सारा कुछ का विडियो रेकॉर्डिंग रखा गया है।
आज 16वां दिन है। कौन क्या सोचता है,कहता है,सुनता है, उससे हम मार्गियों का मतलब नहीं है। आमझरिया हमारा प्रोपर्टी है, हमारा आन-बान-शान है।आस्था का केंद्र है।हम मार्गियों का धर्म ही इसकी सुरक्षा करना और ओ कर रहे हैं।होता वही है,जो बाबा चाहते हैं।
*बाबा नाम केवलम*