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त्याग का प्रतीक है गेरुआ रंग | इसीलिये गेरुआ रङ्ग के झंडे की हम जय करते हैं | सब रङ्गों के झंडों की जय नहीं होती, , गेरुआ रङ्ग के झंडे की जय होती है अर्थात त्याग की जय होती है |
हमलोगों के झंडे के बीच में स्वस्तिक है | स्वस्तिक का रङ्ग क्या है ? स्वस्तिक का रङ्ग है सफेद | सफेद का अर्थ है पवित्रता | अर्थात त्याग द्वारा हम समाज में पवित्रता की प्रतिष्ठा करेंगे | तो जहाँ त्याग है और पवित्रता है वहाँ जय अवश्य होगी | चाहे या न चाहे, जय अवश्य होगी |
श्री श्रीआनन्दमूर्ति जी |
‘ आनन्द वचनामृतम् ‘ ” ध्वज संकेत ” पृष्ठ – 39-40 , ( खण्ड -षडविंश) |.


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*”बाबा” द्वारा 08 अगस्त 1964 को 11:05 पूर्वाह्न में आनन्दमार्ग का ध्वजारोहन किए गए स्थल “आनन्दमार्ग जागृति गंधर्वपुर” पथरगामा, गोड्डा