आनंद मार्ग पद्धति सेे अंतरजातीय विप्लवी विवाह संपन्न
पटना के स्वर्गीय उमाकांत केसरी के सुपुत्री आयुष्मति सुषमा कुमारी का विवाह श्री अर्जुन कुमार के सुपुत्र आयुष्मान अमित कुमार से वैदिक मंत्र उच्चारण *ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरंतु सिंधव:* वैदिक मंत्र से विवाह संपन्न हुआ
जाति-पाति ,रंगभेद, नस्लवाद ,और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए इस जोड़ी का (अंतरजातीय विवाह) क्रांतिकारी विवाह संपन्न हुआ
आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से महिला आचार्या द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच संपन्न हुआ विप्लवी विवाह इस वैवाहिक कार्यक्रम को वर पक्ष से आचार्य शिवनारायण जी एवं वधू पक्ष से आनंद मार्ग की महिला अवधूतिका आनंद रागिनी आचार्या ने संपन्न कराया वै
वैदिक मंत्र उच्चारण *ॐ मधु वाता ऋतायते मधु क्षरंतु सिंधव:* वैदिक मंत्र से विवाह संपन्न हुआ वर एवं वधु आचार्या के साथ 3 बार बारी-बारी से मंत्रों का उच्चारण किया विवाह में उपस्थित लोग समाज को साक्षी मानते हुए परम ब्रह्म तथा मार्ग गुरुदेव के नाम पर शपथ ग्रहण कर कहे की हम इस विवाह के साक्षी हुए साथ ही साथ सभी लोगों ने एक स्वर में नव दंपति के सुखमय जीवन के लिए कामना की इसके बाद नवदंपत्ति एक दूसरे को माला पहनाकर माला का आदान-प्रदान तीन बार किया इस विवाह की विशेषता यह थी कि महिला आचार्या के द्वारा इस वैवाहिक कार्यक्रम को संपन्न कराया गया उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए महिला आचार्या ने कहा कि जाति-पाति ,रंगभेद, नस्लवाद ,और दहेज प्रथा को दूर करने के लिए इस जोड़ी अंतरजातीय विवा क्रांतिकारी विवाह आनंद मार्ग पद्धति से विवाह होता है वह क्रांतिकारी (बिना तिलक दहेज का एवं जातिविहीन संप्रदाय विहीन विवाह) को आनंद मार्ग में प्राथमिकता दी जाती है इस विवाह में वर एवं वधु दोनों के परिवार की सहमति अति आवश्यक है दोनों परिवार वर वधु समान विचारधारा के हो तभी विवाह को सफल बनाया जाता है
अवधूतिका आनंद रागिनी आचार्या का कहना है कि महिला तो भौतिक स्तर पर स्वालंबी हो रही है परंतु उन्हें मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर भी विकसित होने का अवसर प्रदान करना होगा हम महिलाओं को केवल पौरोहित्य गिरी का अधिकार ही नहीं बल्कि महिलाओं द्वारा वैवाहिक कार्यक्रम दाह संस्कार कर्म श्राद्ध कर्म करने का भी अधिकार समाज को देना होगा आज तक समाज में पुरुष पौरोहित्य के द्वारा ही सारे धार्मिक कर्मकांड संस्कार कार्यक्रम संपन्न होता था आनंद मार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने महिलाओं को पौरोहित्य गिरी का अधिकार देकर महिला सशक्तिकरण को मजबूत किया समाज में सभी को समान अधिकार है इससे किसी को वंचित करना घोर पाप है महिला एवं पुरुष समाज रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं इनके समान अधिकार के बिना समाज का सर्वांगीण उत्थान संभव नहीं है महिला एवं पुरुष को आनंदमार्ग में समान अधिकार दिया गया है महिलाओं को भी मानसिक शारीरिक एवं आध्यात्मिक उत्थान का अधिकार मिलना चाहिए अंधविश्वास से भी महिलाओं को ऊपर उठाना होगा
शादी विवाह के लिए सभी समय शुभ है जब सभी भगवान के ही बनाए हुए हैं तो सब कुछ समान है हर समय शुभ है इसका भेदभाव समाज में खत्म करना होगा तभी समाज का सर्वांगीण विकास संभव होगा आचार्या ने कहा कि नारी और पुरुष दोनों एक ही परम पिता के संतान है क्योंकि दोनों परम पिता के संतान हैं इसलिए जीवन की अभिव्यक्ति और अधिकार के क्षेत्र में दोनों को समान अधिकार है
अब दुल्हा ना कोई बिकेगा, ना चलने देंगे जात पात का बाजार,